चंद्रयान-3 की चांद पर हुई सॉफ्ट लैंडिंग

चंद्रयान-3 की चांद पर हुई सॉफ्ट लैंडिंग, लैंडर और रोवर मिलकर 14 दिन में खोजेंगे चंद्रमा में छिपे कई गहरे राज

आखिरकार 41 दिनों की यात्रा के बाद भारत का तीसरा मून मिशन चंद्रयान-3 चांद की सतह पर सुरक्षित रूप से उतर गया। इस एक सॉफ्ट लैंडिंग के बाद भारत ने इतिहास रच दिया है। ISRO ने आज शाम अपने महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल (LM) को चंद्रमा की सतह पर टच डाउन के लिए ऑटोमेटिक लैंडिंग सीक्वेंस (ALS) शुरू किया। लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) वाले LM ने शाम 6 बजे के बाद चंद्रमा पर लैंडिंग की। इसके साथ ही भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने वाला दुनिया का पहला देश और चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाले चार देशों में शामिल हो गया है।

ISRO के अधिकारियों के मुताबिक, लैंडिंग के लिए लगभग 30 किलोमीटर की ऊंचाई पर लैंडर ने ‘पावर ब्रेकिंग फेज’ में कदम रखा है और रफ्तार को धीरे-धीरे कम करता गया।

चंद्रमा की सतह तक पहुंचने के लिए लैंडर ने अपने चार थ्रस्टर इंजन की ‘रेट्रो फायरिंग’ करके उनका इस्तेमाल करना शुरू किया। उन्होंने बताया कि ऐसा ये सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव के कारण लैंडर ‘क्रैश’ न हो जाए।

अधिकारियों के अनुसार, 6.8 किलोमीटर की ऊंचाई पर पहुंचने पर केवल दो इंजन का इस्तेमाल हुआ और बाकी दो इंजन बंद कर दिए गए, जिसका मकसद सतह के और करीब आने के दौरान लैंडर को ‘रिवर्स थ्रस्ट’ देना था। रिवर्स थ्रस्ट का मतलब सामान्य दिशा की विपरीत दिशा में धक्का देना, ताकि लैंडिंग के बाद लैंडर की स्पीड को धीमा किया जा सके।

अधिकारियों ने बताया कि लगभग 150 से 100 मीटर की ऊंचाई पर पहुंचने पर लैंडर ने अपने सेंसर और कैमरों का इस्तेमाल कर सतह की जांच की कि कोई बाधा, तो नहीं है और फिर सॉफ्ट-लैंडिंग करने के लिए नीचे उतरना शुरू कर दिया।

अधिकारियों के मुताबिक, सॉफ्ट-लैंडिंग के बाद रोवर अपने वन साइड पैनल का इस्तेमाल करके लैंडर के अंदर से चंद्रमा की सतह पर उतरा, जो रैंप के रूप में इस्तेमाल हुआ।

ISRO के अनुसार, चंद्रमा की सतह और आसपास के वातावरण का अध्ययन करने के लिए लैंडर और रोवर के पास चांद पर एक दिन का समय होगा। लेकिन चांद का एक दिन पृथ्वी के लगभग 14 दिनों के बराबर होता है। हालांकि, वैज्ञानिकों ने दोनों के एक और चंद्र दिवस यानि और 14 दिन तक एक्टिव रहने की संभावनाओं से इनकार नहीं किया है।

चंद्रयान-3 के रोवर का अब असली काम

चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग के बाद अब रोवर मॉड्यूल ISRO के वैज्ञानिकों की तरफ से दिए गए 14 दिन का काम शुरू करेगा। उसके अलग-अलग कामों में चंद्रमा की सतह के बारे में और जानकारी हासिल करने के लिए वहां प्रयोग करना भी शामिल है।

‘विक्रम’ लैंडर के चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग कर अपना काम पूरा करने के बाद अब रोवर ‘प्रज्ञान’ के चंद्रमा की सतह पर कई प्रयोग करने के लिए लैंडर मॉड्यूल से बाहर निकलने की संभावना है।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अनुसार, लैंडर और रोवर में पांच वैज्ञानिक उपक्रम यानि पेलोड हैं, जिन्हें लैंडर मॉड्यूल के भीतर रखा गया है।

ISRO ने कहा कि चंद्रमा की सतह पर वैज्ञानिक प्रयोग करने के लिए रोवर की तैनाती मून मिशन में नई ऊंचाइयां हासिल करेगी। लैंडर और रोवर दोनों की लाइफ साइकिल एक-एक मून डे है, जो पृथ्वी के 14 दिन के बराबर है।

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