महाराष्ट्र विधानसभा के मानसून सत्र में राज्य सरकार ने गायब हुईं महिलाओं से जुड़े आंकड़े सामने रखे, जिससे पता चलता है कि राज्यभर में साल 2021 में लापता होने वालीं महिलाओं में से करीब 87 प्रतिशत वापस लौट आई हैं. हालांकि, इसके बाद से महिलाओं की वापसी का ये आंकड़ा लगातार गिरता जा रहा है. सरकारी आंकड़ों में बताया गया है कि साल 2022 में 80 प्रतिशत, तो साल 2023 में अब तक करीब 63 प्रतिशत गायब महिलाएं अपने घर लौटी हैं.
इस हिसाब से अगर औसत आंकड़ा देखा जाए, तो 2022 में 10 में से 2 और 2023 में अब तक 10 में से 3 महिलाएं गायब होने के बाद वापस नहीं लौटी हैं. आंकड़ों के मुताबिक, किसी महिला के लापता होने और उसके वापस लौटने की इस पूरी प्रक्रिया में आमतौर पर दो साल का समय लग जाता है. कई महिलाएं घरेलू मुद्दों के कारण घर छोड़ देती हैं. ऐसे में ज्यादातर मामले हल हो जाने के बाद ही वे घर लौटती हैं.
अंबादास ने कहा था कि महाराष्ट्र में रोज गायब होती हैं 70 लड़कियां
सदन में ये आंकड़े रखते हुए उप-मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा, “ऐसा दिखाने की कोशिश की गई थी कि महाराष्ट्र में हर दिन 70 महिलाएं लापता हो रही हैं और उनके लिए यहां कोई सुरक्षा नहीं है, लेकिन ये सब झूठ है.” फडणवीस ने महाराष्ट्र विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे के उन दावों खारिज करते हुए ये जवाब दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि राज्य में रोजाना 70 महिलाएं या लड़कियां लापता हो जाती हैं. अंबादास ने सरकार से महिलाओं की सुरक्षा के लिए कदम उठाने को भी कहा था.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले में अंबादास दानवे ने मई में देवेंद्र फडणवीस को एक पत्र भी लिखा था. पत्र में उन्होंने दावा किया था कि जनवरी से मार्च के बीच राज्य से 5,510 से ज्यादा महिलाएं और लड़कियां लापता हो गईं. सदन में पेश किए गए सरकारी आंकड़ों में ये भी बताया गया कि इस साल जनवरी से जून के बीच महिलाओं के खिलाफ अपराध के 85 फीसदी मामलों में 60 दिनों के भीतर चार्जशीट फाइल की गई.
साल 2019 की तुलना में ये एक बड़ी छलांग थी. तब महिलाओं के खिलाफ अपराध के केवल 24 प्रतिशत मामलों में 60 दिनों के भीतर आरोपपत्र दायर किए गए थे. जबकि 2020 में 44 प्रतिशत, 2021 में 71 प्रतिशत और 2022 में 72 प्रतिशत का इजाफा देखा गया. फडणवीस ने राज्य के ऊपरी सदन में कहा, “जब महिलाओं के खिलाफ अपराध की बात आती है, तो हमें 60 दिन के टाइम पीरियड में 100 प्रतिशत मामलों में चार्ज शीट दाखिल करने की उम्मीद है.”
महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में 12वें नंबर पर महाराष्ट्र
जहां पुलिस को आमतौर पर गंभीर अपराध के मामलों में चार्जशीट दाखिल करने के लिए 90 दिन मिलते हैं, तो वहीं कम सजा वाले अपराधों में 60 दिन की समय सीमा होती है, ऐसा न करने पर आरोपी को अदालत की तरफ से जमानत दी जा सकती है. आंकड़ों के मुताबिक, प्रति लाख जनसंख्या पर होने वाले अपराध में महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में महाराष्ट्र देश में 12वें नंबर पर है, जबकि असम पहले पर है.
लापता बच्चों की वापसी में भी साल-दर-साल गिरावट
वहीं अगर लापता बच्चों की बात की जाए, तो सरकारी आंकड़ों में बताया गया है कि 2021 में लापता हुए 98 प्रतिशत बच्चे घर लौट आए, 2022 में लापता हुए 97 प्रतिशत बच्चे मिल गए, और 2023 में लापता हुए 71 प्रतिशत बच्चे भी वापस आ गए. महिलाओं के मुकाबले बच्चों के रिकवरी रेट या वापस लौटने के आंकड़े में ज्यादा सुधार है, लेकिन साल-दर-साल इसमें भी कुछ गिरावट साफ दिखती है.
आंकड़ों पर नजर डालें तो 2015 में राज्य पुलिस की तरफ से शुरू किए गए ‘ऑपरेशन मुस्कान’ के तहत अब तक 34,000 लापता बच्चों का पता लगाया गया है. रिपोर्ट में पुलिस के काम की तरीफ भी की गई और कहा गया कि राज्य पुलिस के “अच्छे काम” का संसद में भी खासतौर से जिक्र किया गया और इसे दूसरे राज्यों में भी दोहराया गया है.
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