मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) और छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) के लिए उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने सबको चौंका दिया। चुनाव की तारीखों का ऐलान होने से भी महीनों पहले पार्टी ने MP की 39 और छत्तीसगढ़ की 21 सीटों पर अपने कैंडिडेट्स के नामों की घोषणा कर दी। पार्टी का इतिहास रहा है कि उसने ज्यादातर, चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के बाद ही उम्मीदवारों का खुलासा किया है, लेकिन इसबार रिवाज बदल गया। पहली लिस्ट में दोनों राज्यों को मिला कर BJP के कुल 60 उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की गई है।
इस साल के आखिर में मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के साथ-साथ राजस्थान (Rajasthan) में भी विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में लोगों के मन में एक सवाल ये भी है कि आखिर राजस्थान को लेकर बीजेपी की कोई लिस्ट क्यों नहीं आई? वो भी तब जब इन दोनों ही राज्यों की तरह राजस्थान भी पार्टी के लिए काफी अहम है और राज्य की सत्ता कांग्रेस के हाथों से छीनने की जुगत में है।
पत्रिका की रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसा माना जा रहा था कि मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के साथ-साथ राजस्थान की 19 सीटों पर भी पार्टी उम्मीदवारों की घोषणा करेगी, मगर ऐसे तभी हो पाता, जब राज्य की चुनाव प्रचार समिति के संयोजक का नाम तय हो गया होता। अब भी चुनाव प्रचार समिति के संयोजक का नाम तय होना बाकी है और शायद इसलिए ही राजस्थान के लिए उम्मीदवारों की कोई लिस्ट नहीं आई।
रिपोर्ट में आगे बताया गया कि आने वाले दिनों में बीजेपी एक फिर ऐसा ही झटका दे सकती है और चुनाव आचार संहिता का इंतजार किए बगैर ही इन 19 सीटों पर फैसला ले सकती है।
राजस्थान की 19 सीटें ही क्यों?
अब सवाल ये उठता है कि आखिर पार्टी पहले 19 सीटों पर ही उम्मीदवारों के नाम का ऐलान क्यों करना चाहती है, तो इसके पीछ भी एक रणनीति है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो हाल ही में BJP की केंद्रीय चुनाव समिति में चुनावी राज्यों की सभी सीटों को चार कैटेगरी में बांटा गया था- A,B,C,D
इन 19 सीटों को D कैटेगरी में रखा गया था। D कैटेगरी में वे सीटें आती हैं, जहां पर पार्टी बहुत कमजोर हैं। मतलब कि ये 19 सीटें काफी कमजोर हैं और इसलिए पार्टी पहले इन सीटों पर ही फोकस कर रही है।
ये ठीक वैसा ही है, जैसा कि पार्टी ने मध्य प्रदेश की 39 सीटों पर किया। MP की जिन 39 सीटों की लिस्ट BJP ने जारी की, उन सभी सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है। उसमें भी ज्यादातर सीट वे हैं, जहां पार्टी को पिछले दो या तीन बार से शिकस्त ही मिल रही है।
कौनसी हैं राजस्थान की वे कमजोर सीटें:
- – नवलगढ़
- – खेतड़ी
- – झुंझुनू
- – फतेहपुर-लक्ष्मणगढ़
- – दातारामगढ़
- – कोटपुतली
- -बस्सी
- – राजगढ़-लक्ष्मणगढ़
- – बाड़ी
- – टोडाभीम
- – सपोटरा
- – सिकराय
- – लालसोट
- – सरदारपुरा
- – बाड़मेर
- – सांचौर
- – वल्लभनगर
- – बागीदौरा
संयोजक का नाम तय होने में क्या है अड़चन?
पत्रिका ने अपनी रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया कि चुनाव प्रचार समिति के संयोजक का नाम तय होने में अड़चन यही है कि फिलहाल संघ और संगठन के बड़े नेताओं के बीच आपसी समहति नहीं बन पाई। दोनों पक्ष किसी एक नाम पर मुहर लगाएंगे, तो ऐलान भी कर दिया जाएगा। साथ ही पार्टी की योजना कमजोर सीटों पर कुछ सांसदों को उतारने की भी है।
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